Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
बेचैन रहती है रात हमारी - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

बेचैन रहती है रात हमारी

  • 96
  • 2 Min Read

दिन गुज़रता नहीं और बेचैन रहती है रात हमारी
गुफ़्तगू के लिए तरसें ऐसी तो न थी औक़ात हमारी

ऐसा भी नहीं के मुमकिन ही नहीं मुलाक़ात हमारी
फिर क्यूं होती नहीं है 'बशर' आज कल बात हमारी

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर"

logo.jpeg
user-image
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg