कवितानज़्म
तसव्वुर में देखा उनको ख़्वाब में देखा
छलकते हुए पैमाने की शराब में देखा
जब भी देखा ढके हुए नकाब में देखा
क़ौस'ए'क़ुज़ह से रंगी हिज़ाब में देखा
मयकदा से निकल कर चूर अक़्सर
अक्सो-नक़्श उन का महताब में देखा
दीद ए हबीब ज़हे-नसीब हमारा हमने
बादलों में चांद सहर ए सराब में देखा
© dr.n.r.kaswan "bashar" 🍁