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चांद सहर ए सराब में देखा - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

चांद सहर ए सराब में देखा

  • 29
  • 2 Min Read

तसव्वुर में देखा उनको ख़्वाब में देखा
छलकते हुए पैमाने की शराब में देखा

जब भी देखा ढके हुए नकाब में देखा
क़ौस'ए'क़ुज़ह से रंगी हिज़ाब में देखा

मयकदा से निकल कर चूर अक़्सर
अक्सो-नक़्श उन का महताब में देखा

दीद ए हबीब ज़हे-नसीब हमारा हमने
बादलों में चांद सहर ए सराब में देखा

© dr.n.r.kaswan "bashar" 🍁

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