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तू ही शामो-सवेरा - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

तू ही शामो-सवेरा

  • 29
  • 2 Min Read

येह मकां भी तेरा है .....ये मकीं भी तेरा है
मैं भी तेरा हूँ ....... मुझ में यकीं भी तेरा है

दैर-ओ-हरम तेरा है...हम पर करम तेरा है
काफिर मोमिन तेरा..पंडित नबी भी तेरा है

दीन ओ कादिर तेरा है सफ़र मुसाफ़िर तेरा
चांद सितारे आफताब मह-जबीं भी तेरा है

हरसू हरशय में तू है हरपल हर क्षण तेरा है
रोज-ओ-शब तू है .... तू ही शामो- सवेरा है

© dr.n.r.kaswan "bashar" 🍁

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