कवितानज़्म
येह मकां भी तेरा है .....ये मकीं भी तेरा है
मैं भी तेरा हूँ ....... मुझ में यकीं भी तेरा है
दैर-ओ-हरम तेरा है...हम पर करम तेरा है
काफिर मोमिन तेरा..पंडित नबी भी तेरा है
दीन ओ कादिर तेरा है सफ़र मुसाफ़िर तेरा
चांद सितारे आफताब मह-जबीं भी तेरा है
हरसू हरशय में तू है हरपल हर क्षण तेरा है
रोज-ओ-शब तू है .... तू ही शामो- सवेरा है
© dr.n.r.kaswan "bashar" 🍁