कविताअतुकांत कविता
साहित्य अर्पण
2 फरवरी 2024
विषय-बुजुर्गों का सम्मान
विधा-कविता
********
मात पिता गुरुदेव को, मानों सुंदर धाम,
सेवा करके इनकी, पूर्ण होते सब काज।
बुजुर्ग जहां में कहलाते,धरा के ही देव,
होना चाहिए जन को, बस इनके नाज।।
बुजुर्गों का सम्मान करो, कहते हैं संत,
अपमान किया इनका, बुरा बहुत अंत।
उनकी सेवा करने से,मिलते सारे सुख,
सेवा से गर विरक्त, खूब मिलेंगे दुख।।
अनुभव रखते हैं सदा, बुजुर्ग हो नाम,
परहित में जीवन जीये, होता है काम।
देव समान होते हैं वो, बस लेना नाम,
हरदम उनको याद करो, जैसे हो धाम।।
लो मिलकर शपथ ले, करे बुजुर्ग सेवा,
सेवा का प्रसाद है,मिलती जन को मेवा।
स्वर्ग में जब जाएंगे, होगी जमके चर्चा,
अपने जीवन को बना,कहते ऊंचा दर्जा।।
***
स्वरचित/मौलिक
*********
डा. होशियार सिंह यादव, कनीना,महेंद्रगढ़,हरियाणा