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कवितानज़्म
हमने पुछा कि येह कमबख़्त नामुराद जिन्दगी आख़िर क्या है मुर्शिद ने कहाके आंधियों बारिशों में पतंगबाजी का तजरबा है © dr. n. r. kaswan "bashar"