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कवितानज़्म
हीरे -मोती चांदी-सोना क्या काम आएगा किसीका होना न होना क्या काम आएगा हँसकर दो पल ना बात हो सकी जीते जी बाद मरने के रोनाधोना क्या काम आएगा ©dr. n. r. kaswan "bashar"