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कवितानज़्म
हरपल पल पल गुजारा सुहाना याद आता है हर सूरत हर चेहरा हमें पुराना याद आता है गांव के गली कूचे दीवार -ओ-दर -ओ दरीचे कच्चे घर में गुजारा वो जमाना याद आता है © dr. n. r. kaswan "bashar"🍁