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काफ़िले किसीके वास्ते रूकते नहीं है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

काफ़िले किसीके वास्ते रूकते नहीं है

  • 93
  • 1 Min Read

गहरी चाहे जितनी भी हो येह धुंद "बशर"
रास्ते रूकते नहीं है,

राहे-सफ़र टूटेभी गर दम काफ़िले किसीके
वास्ते रूकते नहीं है!

© dr. n. r. kaswan "bashar"

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