Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
काफ़िले किसीके वास्ते रूकते नहीं है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

काफ़िले किसीके वास्ते रूकते नहीं है

  • 101
  • 1 Min Read

गहरी चाहे जितनी भी हो येह धुंद "बशर"
रास्ते रूकते नहीं है,

राहे-सफ़र टूटेभी गर दम काफ़िले किसीके
वास्ते रूकते नहीं है!

© dr. n. r. kaswan "bashar"

logo.jpeg
user-image
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg