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कवितानज़्म
बांट कर रौशनाई सबको ‐‐‐‐‐‐ रात-भर हटाकर अंधेरा रखा दीये ने अपने दामने में ‐‐-‐-खुद केलिए बचाकर अंधेरा रखा © dr. n. r. kaswan "bashar"