कविताअतुकांत कविता
साहित्य अर्पण एक पहल
24 जनवरी 2024
विषय-राम आएंगे
कविता
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बहुत दिनों से तड़पन दिल में,
कब आएंगे मेरे ईश्वर श्रीराम,
थक चुका था रटते रटते राम,
अब तो आखिर द्वार पे राम।
नेह लगी प्रभु श्रीराम से तो,
भूल गया था सारे ही काम,
सोच सोच दिल घबराता था,
आएंगे या नहीं आएंगे राम।
आंखें उसको तरस रही थी,
कब आएंगे प्रभु मेरे ही द्वार,
खुशियां भरी थी दिल मेरे में,
दर्शन ईश्वर के बस थे उधार।
आखिर वो दिन आ पहुंचा,
अब जी भरके करूंगा दर्शन,
कभी हाथ धनुष लिये आते,
कभी लेकर आते हो सुदर्शन।
अब तो पैर पकड़ लूंगा मैं,
जाने नहीं दूंगा वापस राम,
मरना जीना बस एक बार ,
चाहे लेने पड़े जन्म हजार।
मेरे प्रभु, तुम दाता हो मेरे,
मेरे कहलाते हो पालनहार,
धन दौलत मुझे ना चाहिए,
बस थोड़ा सा दे दो प्यार।।
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*डा. होशियार सिंह यादव
कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा