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बर्फ़ पर घर बसाने लगे हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

बर्फ़ पर घर बसाने लगे हैं

  • 27
  • 2 Min Read

बर्फ़पर घर बसाने लगे हैं

ठंडे पड़े हुए वीरान इलाक़े गरमाने लगे हैं
भीड़ वाले मुल्क़ से मुजाहिर आने लगे है

निर्जन को आबाद करने में जमाने लगे हैं
हौसले सलामत बर्फ़पर घर बसाने लगे हैं

© dr. n. r. kaswan "bashar"

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