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कव्वाली,,बच्चों में नैतिक मूल्य - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

कव्वाली,,बच्चों में नैतिक मूल्य

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# प्रतियोगिता

कव्वाली

बच्चों में नैतिक विकास की तीन (अवस्थाओं,,,बाल्यावस्था,
किशोरावस्था एवं युवास्था पर आधारित )

मेरे भाई सुनो,मेरी बहना सुनो
नैतिक मूल्यों की बात सुनो
मूल्यों की अजी बात सुनो
हां हां ,मूल्यों की तुम बात सुनो।
,,,पहली अवस्था
गीली मुलायम मिट्टी से ,
कुम्हार जो कुम्भ बनाता है।
सुंदर आकारों में ढलकर,
रंगों से सपने सजाता है।
चाहे मोटा करो या पतला करो,
वो परमानेंट हो जाता है।
चाहे काला करो या पीला करो,
वो सब सेटल हो जाता है।
मेरे भाई,,,,
,,,दूसरी अवस्था
कक्षा में शिक्षक की निराली शान है,
विद्यार्थियों की वो जान है।
वो जो कक्षा में पढ़ाते हैं,
पत्थर की लकीर बन जाती है।
धरती तो चौरस होती है,
पापा गोल वो कैसे होती है।
टीचर ने कहा वो सच्चा है,
बाकी सब नॉलेज कच्चा है।
मेरे भाई,,,,
,,,तीसरी अवस्था
आज की ताज़ा खबर मैं क्या बयान करूँ,
मूल्यों की कैसे मैं बात करूँ।
हम पढ़ाई के पैसे देते हैं,
ये शिक्षक सारे तनख्वाह भी लेते हैं।
हम बॉय करें और हाय कहें,
हम सबको क्यूँ प्रणाम करें।
जब नेशनल एंथम होता है,
मूव्ही का प्रोग्राम बनता है।
मेरे भाई,,,
सरला मेहता

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