कविताअन्य
साहित्य अर्पण
17 जनवरी 2024
विषय-कविता
विधा-कविता
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कविता दिल के भाव हैं, शब्द मोती समान,
शब्दों का ताना बाना बुने, कवि बने महान,
काव्य दिल को दे शकुन, होठों पर मुस्कान,
कविता पढ़कर जाग उठे, सोया हुआ जहान।
कविता के हैं रूप कई,अलग अलग हैं भाव,
कभी मन प्रसन्न मिले, कभी मन में हो तनाव,
शब्दों की मार तो, लगे जैसे ताप और हो बम,
काव्य के भाव सुन,कौवे करने लगे कांव कांव।
कबीर,मीरा, तुलसी,मिले भक्तिभाव के विचार,
दिनभर मधुमक्खी सम,सजग काम में हो तैयार,
दुख दर्द दिल में बढ़े, उभरे काव्य के मन भाव,
कवि कल्पना अतीत हो, होती नहीं कभी हार।
कविता का रस पी चुके, कितने हो गये अमर,
कितने सुंदर काव्य से, बोल रहे भक्त हर-हर,
काव्य के भाव सुने, मन ले उठता है अंगड़ाई,
कविता वो शब्द अमृत, सुनते देखे हैं घर घर।
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स्वरचित/मौलिक
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* डा. होशियार सिंह यादव
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