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नींद औरों की उड़ाकर - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

नींद औरों की उड़ाकर

  • 90
  • 1 Min Read

जीते - जी नींदें उड़ा कर रखी दूरियाँ बना कर
मरकर भी चैनसे सोने नहीं देते क़ब्र पर आकर
सोचता हूँ मैं कि खुद भी कितना सो पाते हैं वो
बेसबब नींद यूं हरसम्त हरसू औरों की उड़ाकर
© dr. n. r. kaswan "bashar"

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