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कवितानज़्म
येह जे बाहर दिखाई देता है..... स्थूल शरीर अलग है जी लिखी है इस तनके भीतर.....वो तहरीर अलग है तू ना कलमकार है "बशर"..... न तू तहरीर-निगार है रचनाकार अलग है.....उसकी बनाई तस्वीर अलग है © dr.n.r.kaswan "bashar" Surrey/09/01/2024