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संस्मरण --खुली आंखों से देखा स्वप्र भी सच होते हैं - Dr Hoshiar Singh Yadav (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

संस्मरण --खुली आंखों से देखा स्वप्र भी सच होते हैं

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साहित्य अर्पण
विषय- खुली आंखों से देखा स्वप्र भी सच होते हैं
दिनांक 13 जनवरी 2024
 विधा -संस्मरण
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बात करीब 20 वर्ष पुरानी है जब मेरी कृति उपयोगी पेड़ पौधे, निरोगी काया प्रकाशित हुई थी। पुस्तक प्रकाश के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। दिनरात एक करे करीब छह माह में मेरी पुस्तक प्रकाशित होकर विमोचन के लिए आई।  मन उत्साहित हो गया क्योंकि बहुत से लोगों ने इसकी सराहना की क्योंकि एक तो कृति उपयोगी पेड़ पौधे और निरोगी काया नाम से प्रकाशित हुई और उस पर काव्य रूप में रचित थी। इसलिए भी चर्चा का विषय बनी हुई थी। जब इसका विमोचन हुआ लोगों की गडग़ड़ाहट ने मेरे मन को प्रसन्नचित कर दिया। मैंने मन ही मन में सोचा कि काश मेरी यह कृति सरकार द्वारा प्रकाश पुरस्कृत कृति बन जाये। बार बार अपनी सोच के विषय में अपने साथियों को भी अवगत कराया। सभी ने मेरी बात का समर्थन किया। फिर क्या था प्रदेश सरकार में मैंने अपनी कृति को भेज दिया और करीब छह माह इंतजार करना पड़ा। एक दिन मुझे पत्र मिला पत्र पढ़कर खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा मेरी कृति पुरस्कृत हो गई थी। जो बात खुली आंखों से मैं स्वप्न के रूप में देख रहा था वह सत्य सिद्ध हो गई। परिणाम देखकर मन ही मन सोचा कि कभी-कभी खुली आंखों से देखा गए सपने भी साकार होते हैं और वह सच भी मेरी आंखों ने कर दिखलाई है। मैं कृति के विमोचन के दिन को याद कर बार-बार अपनी कृति को निहार लेता हूं परंतु वह दिन कभी नहीं भुला पा रहा हूं। जब भी कृति सामने होती है तो मन में वो नजारा सामने घूमने लग जाता है।
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नितांत मौलिक/स्वरचित
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* डा. होशियार सिंह यादव
मोहल्ला-मोदीका, वार्ड नंबर 01
कनीना-123027, जिला-महेंद्रगढ़ हरियाणा
फोन-09416348400

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