Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
फ़रेब भरे हैं प्यार में - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

फ़रेब भरे हैं प्यार में

  • 79
  • 2 Min Read

फ़रेब भरे हैं प्यार में
कुछनहीं अधिकारमें!

नुकसान में है आदमी
जीवन के व्यापार में!

रंज-ओ-ग़म बिकते हैं
मसर्रतों के बाज़ार में!

हरकोई मुंतज़िर दिखे
खुशियोंके इंतज़ार में!

नफ़रतें ही पल रही है
हरसू बेसबब प्यार में!

इख़्लास रहा ही नहीं
बशर के इख़्तियार में!

© dr. n. r. kaswan "bashar"

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg