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फ़रेब भरे हैं प्यार में - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

फ़रेब भरे हैं प्यार में

  • 85
  • 2 Min Read

फ़रेब भरे हैं प्यार में
कुछनहीं अधिकारमें!

नुकसान में है आदमी
जीवन के व्यापार में!

रंज-ओ-ग़म बिकते हैं
मसर्रतों के बाज़ार में!

हरकोई मुंतज़िर दिखे
खुशियोंके इंतज़ार में!

नफ़रतें ही पल रही है
हरसू बेसबब प्यार में!

इख़्लास रहा ही नहीं
बशर के इख़्तियार में!

© dr. n. r. kaswan "bashar"

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