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कवितानज़्म
रंज-ओ-मलाल तमाम जलकर खाक हो जाएं लोहड़ी के त्योहार पर रिश्ते सारे पाक हो जाएं चिंता द्वेष क्लेश रहे नहीं लेशमात्र भी अवशेष लोहड़ी की ज्वाला से जोरो-जुर्म राख हो जाएं © dr. n. r. kaswan "bashar"