Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
अखबारों में छप जाने से नाम नहीं होता - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

अखबारों में छप जाने से नाम नहीं होता

  • 27
  • 2 Min Read

काटे नहीं कटती रात आंखों में जिनके नींद का नाम नहीं होता
गुज़रने का नाम नहीं लेता दिन हाथों में जिनके काम नहीं होता

क़ुव्वत लड़ानी पड़ती है लोगोंके दिलों में जगह बनाना पड़ती है
फ़क़त अखबारों में बशर छप जने से किसी का नाम नहीं होता

© dr. n. r. kaswan "bashar"

logo.jpeg
user-image
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg