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अखबारों में छप जाने से नाम नहीं होता - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

अखबारों में छप जाने से नाम नहीं होता

  • 21
  • 2 Min Read

काटे नहीं कटती रात आंखों में जिनके नींद का नाम नहीं होता
गुज़रने का नाम नहीं लेता दिन हाथों में जिनके काम नहीं होता

क़ुव्वत लड़ानी पड़ती है लोगोंके दिलों में जगह बनाना पड़ती है
फ़क़त अखबारों में बशर छप जने से किसी का नाम नहीं होता

© dr. n. r. kaswan "bashar"

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