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हरसूरत हरसू हरशय के हालात पर लिख - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हरसूरत हरसू हरशय के हालात पर लिख

  • 73
  • 3 Min Read

दलित और शोषित के हालात पर लिख
हजम हो नहीं रही है उस बात पर लिख!
फासला सदियों की खाई का गहरा गया
ग़रीबी-अमीरी बीच मुलाक़ात पर लिख!
गुजरते हैं पल - पल ग़ुरबत में ग़रीब के
कैसे-कैसे हालात में दिन-रात पर लिख!
मुफ़लिस के मंसूबों से पानी भरता कैसे
बिखरतेहैं कैसे उसके जज़्बात पर लिख!
अमीरों को तो सभी ने लिखा है बहोत
किसान - मजदूर के ख़्यालात पर लिख!
सर्दी-गर्मी आंधी-तूफां बरसात पर लिख
सीमापे जवानके जज़्बेजज़्बात पर लिख!
इकतरफ़ा बहुतलिखा बहुतरहा अनकहा
हरसूरत हरसू हरशयके हालात पर लिख!

© डॉ. एन.आर. कस्वाँ "बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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