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कवितानज़्म
किरदार में साफ-सफाई रख मिज़ाज अपना मौलाई रख दैर-ओ -हरम में क्या रखा है दिल में अपने सच्चाई रख © डॉ. एन.आर. कस्वाँ "बशर" सरी/११/०१/२०२४