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कवितानज़्म
औरफिर अपने साये से मैंने कहा तू क्यूं धूप में जलता है मेरे साथ मुस्कुराकर तंज में तब उसने कहा मेरे सिवा कौन चलता है तेरे साथ © dr. n. kaswan "bashar" Surrey/03/01/2024