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बीते बरस की बातें पुरानी कहानी हुई - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

बीते बरस की बातें पुरानी कहानी हुई

  • 77
  • 2 Min Read

बीते बरस की बातें पुरानी कहानी हुई,
ज़ख़्मों की जननी मरहम की नानी हुई!

बीती ताही बिसार दे कहनी जुबानी हुई,
रीत जगत की है ये जानी -पहचानी हुई!

हुक्मरान गए उन की सब हुक्मरानी गई,
हरचीज़ लगे पराई सब आनी-जानी हुई!

जान भी अपनी नहीं हर-शय बेगानी हुई
सांसे भी उधार की पराई जिन्दगानी हुई!

दुनिया-ए-तसव्वुर के रैन बसेरे में आकर
किस बातकी 'बशर' तुझे बदगुमानी हुई!

© dr. n. r. kaswan "bashar"

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