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कवितानज़्म
रहा 'बशर' बेचैन उम्र-ए-तमाम चैन से मरने को करलिए सब काम रहा नहीं शेष कुछ करने को सूखा शजर सूखी शाखें पंछी उड़ने को तैयार हुई तैयार जनाजे की नाव भवसागर तरने को © dr. n. r. kaswan "bashar"