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यादें - Rinku Bumra (Sahitya Arpan)

कवितागजल

यादें

  • 55
  • 3 Min Read

🌹गुजर रही है उम्र मेरी
🌹जरिया बस उनकी यादों का
🌹आंखो में आंसू उतर आते
🌹जब जिक्र करूं उनकी बातों का

🌷 ये काले बादल मंडराते बहुत
🌷 सूखी जमीं पर जब बहती गर्म हवा
🌷उम्मीद बहुत तेरे बरसने की यहां
🌷जरा महसूस करना मेरी तन्हाई की सजा

🌺सब कुछ मैंने खो दिया
🌺बस साथ तेरी यांदो का
🌺मैंने मांगा खुदा से कुछ नही
🌺बस उनकी बांहों में मिट जाने का

🌸अगर ना मिले मोहल्लत मुझे मिलने की
🌸 कष्ट करना मेरी कब्र पर फूल चढ़ाने का
🌸तेरा गुनाह, गुनाह ना रहेगा
🌸मोहब्बत में, यूं सताने का।

स्वरचित
रिंकु बुमरा
महेंद्रगढ़, हरियाणा

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