कवितागजल
🌹गुजर रही है उम्र मेरी
🌹जरिया बस उनकी यादों का
🌹आंखो में आंसू उतर आते
🌹जब जिक्र करूं उनकी बातों का
🌷 ये काले बादल मंडराते बहुत
🌷 सूखी जमीं पर जब बहती गर्म हवा
🌷उम्मीद बहुत तेरे बरसने की यहां
🌷जरा महसूस करना मेरी तन्हाई की सजा
🌺सब कुछ मैंने खो दिया
🌺बस साथ तेरी यांदो का
🌺मैंने मांगा खुदा से कुछ नही
🌺बस उनकी बांहों में मिट जाने का
🌸अगर ना मिले मोहल्लत मुझे मिलने की
🌸 कष्ट करना मेरी कब्र पर फूल चढ़ाने का
🌸तेरा गुनाह, गुनाह ना रहेगा
🌸मोहब्बत में, यूं सताने का।
स्वरचित
रिंकु बुमरा
महेंद्रगढ़, हरियाणा