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कवितानज़्म
फ़िराक़ फुरक़त फासले विरह जुदाई हिज्र - ए- यार में हैं बशर दूरियाँ बहुत खुशी से मसाफ़त में रहता नहीं कोई तन्हाइयों की हैं बशर मजबूरियाँ बहुत डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर"