Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
वो इल्मो-हुनर हमें नहीं आता दर्दे-जिगर जिससे बांटें - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

वो इल्मो-हुनर हमें नहीं आता दर्दे-जिगर जिससे बांटें

  • 106
  • 1 Min Read

दौलत -ए -रंज -ओ -ग़म अपनी "बशर" बांटें तो किससे बांटें
वो इल्मो-हुनर हमें नहीं आता दर्दे-जिगर अपना जिससे बांटें

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर"/०४/०१/२०२४

logo.jpeg
user-image
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg