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कवितानज़्म
दौलत -ए -रंज -ओ -ग़म अपनी "बशर" बांटें तो किससे बांटें वो इल्मो-हुनर हमें नहीं आता दर्दे-जिगर अपना जिससे बांटें © डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर"/०४/०१/२०२४