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शराब पीकर न ख़्वाब देखा कर - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

शराब पीकर न ख़्वाब देखा कर

  • 86
  • 2 Min Read

शराब पीकर न ख़्वाब देखा कर,
साफ नज़र से न ख़राब देखाकर!

तिश्नगी अपनी संभाल कर रख,
हो कर बेताब न सराब देखा कर!

धूप का दरिया बहता है यहाँ पर,
तपते सहरा में न आब देखा कर!

हुदूदे नज़र आए लख़्त-ए-जिगर,
इस क़दर न बे-हिसाब देखा कर!

© dr. n. r. kaswan "bashar"
Surrey/04/01/2024

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