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*मनकी गहराई कौन जाने - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*मनकी गहराई कौन जाने

  • 40
  • 2 Min Read

*मनकी गहराई कौन समझे*
पीरफ़कीर मुर्शिदमौलाई के मनकी गहराई कौन समझे
रास न आई रौनक दुनियाई उसकी तन्हाई कौन समझे
राब्तों का रोना घर-बार खोना अकेला होना हम समझें
सब-कुछ खो कर जो दौलत उस ने कमाई कौन समझे
© "बशर"

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