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मुलाक़ात की गुंजाइश रखिए - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मुलाक़ात की गुंजाइश रखिए

  • 46
  • 1 Min Read

राब्तों में ना रस्साकशी की जोर-आज़माइश रखिए
वक़्त-ए-फुर्क़त मेंभी मुलाक़ात की गुंजाइश रखिए

गिले - शिकवे ना पालिए वक़्त में खुद को ढालिए
अपनों से बेशक अपनी पसंद की फर्माइश रखिए

© "बशर"

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