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*साल नया सबको रास आए* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*साल नया सबको रास आए*

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*साल नया सबको रास आए*

आराईश -ओ -तक़ल्लुफ के साथ - साथ इख़्लास आए
महज़ लफ्फाजी ही नहीं 'बशर' लफ़्ज़ों में मिठास आए

रफ़ाक़त शराफ़त सदाक़त की हिमायतो - हिफ़ाज़त हो
अदावतें रक़ाबतें ख़त्म हों साल नया सब को रास आए

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर"
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