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कवितानज़्म
*साल नया सबको रास आए* आराईश -ओ -तक़ल्लुफ के साथ - साथ इख़्लास आए महज़ लफ्फाजी ही नहीं 'बशर' लफ़्ज़ों में मिठास आए रफ़ाक़त शराफ़त सदाक़त की हिमायतो - हिफ़ाज़त हो अदावतें रक़ाबतें ख़त्म हों साल नया सब को रास आए © डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" Happy new year 2024