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मौसमे-बहार को फिर बहाल कर - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मौसमे-बहार को फिर बहाल कर

  • 38
  • 3 Min Read

ये क्या किया के ले गया सनम कोई
सीने से दिल हमारा निकालकर

धड़कता है कैसे हम भी तो देखें दिल
उसका अपने सीने में डालकर

हर किसीके वास्ते ऐ नाशाद दिल मेरे
यूंही न अपना हाल बेहाल कर

मसर्रतें भी होंगी मयस्सर हर हाल में
उम्मीदरख दिलसे न मलाल कर

राब्तोंकी जमीनपर नई मिट्टी डालकर
नया बशर और कोई कमाल कर

उजड़े हुए चमन को फिर गुलज़ार कर
मौसमे-बहार को फिर बहाल कर

© डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"
सरी, कनाडा

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