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जख़्म से बात करे जख़्म - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

जख़्म से बात करे जख़्म

  • 57
  • 2 Min Read

*जख़्मसे बातकरे जख़्म*

कुछ भरे कुछ हरे जख़्म
दवा शिफ़ा से परे जख़्म
वक़्तकी मर्हम ने अक़्सर
होलेहोले कुछ भरे जख़्म
कुछजिंदा कुछ मरेजख़्म
परेशान सब करे जख़्म
तू न कुरेद येह मेरे जख़्म
ज़ख़्मों का ये सिलसिला
जख़्ममें जख़्मकरे जख़्म
हो मुनासिब किसी तरह
जख़्म से बात करे जख़्म
मैं समझ सकूं तेरे जख़्म
तू समझ सके मेरे जख़्म

© "बशर"

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