Or
Create Account l Forgot Password?
कवितानज़्म
मौसम- ए-सर्द में बर्फबारी आम बात है राब्तों की राख में चिंगारी आम बात है फासले हद से बढ जाये रिश्तों में बशर इन्सानियत ख़त्म मक्कारी आम बात है © "बशर"