Or
Create Account l Forgot Password?
कवितानज़्म
*औलाद की ख़ातिर* मुश्क़िल जतन करता है औलाद की ख़ातिर वालिद जीता है मरता है औलाद की ख़ातिर सराब को आब समझ कर तिश्नगी पी लेता सहरा में सफ़र करता है औलाद की ख़ातिर ©️ डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" म'आनी: सराब= मृगतृष्णा, तिश्नगी= प्यास