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कवितानज़्म
*खजूर पर लटके* राब्ते हयात तूने क्या खूब बनाये अपनों बीच 'बशर' सदा रहे पराये आस्मान में उड़ने के मंसूबे बनाये खजूर पर लटके आस्मां ने गिराये ©️ डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"/१८/१२/२०२३