Or
Create Account l Forgot Password?
कवितानज़्म
सफ़र-ए-हयात में मिले हर फ़रेब से वाकिफ़ हूँ मग़र मौतसे मुझे तवक़्क़ो ऐसी कोई हरगिज़ नहीं है बशर ©️ डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"/१७/१२/२०२३