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कवितानज़्म
तवज्जोह हरसूरत किया करो 'बशर' दिलके मकान की घर के बग़ैर रखने को जगह ना रहेगी बाक़ी सामान की ©️ डॉ.एन.आर. कस्वाँ 'बशर' /१६/१२/२०२३