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कवितानज़्म
*वक़्त का थप्पड* वक़्त का जबर्दस्त थप्पड़ लगता है बशर तो आवाज़ भी नहीं होती ये वो सजा है जिसकी बारगाह ए इलाही में फ़रियाद भी नहीं होती ©️डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"/०९/१२/२०२३/सरी