Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
इक दूजेके सहारा न हुए - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

इक दूजेके सहारा न हुए

  • 103
  • 2 Min Read

इक दूजेके सहारा न हुए

मरसिम बहुत हुए लेकिन गवारा न हुए
बाहमी ताल्लुक़ात टूटे तो दुबारा न हुए

रिश्तों की कश्ती में इतने सुराख हुए कि
डूबते ही गए मग़र 'बशर' किनारा न हुए

समय की धारा में बहकर दूर निकल आए
डूबना था गवारा इक दूजेके सहारा न हुए

©️ डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" ०६/१२/२०२३

logo.jpeg
user-image
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg