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"धराकांत" - Hemant Aggarwal (Sahitya Arpan)

कविताभजनलयबद्ध कविताछंदगीत

"धराकांत"

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"धराकांत"

अधर्म छलता कमजोरों को,प्रभु तुमको कौन छले।28
छाए घोर मरण जन मन में,जीवन तुझी से पले।28
कृष्ण कोई उपाय निकालो,पड़ेगा स्वीकारना।28
हर श्वास को तुम भजन समझो,या पड़ेगा मारना।।28

जगतपिता तुम करुणा सागर,अब मुझपे दया करो।28
दयानिधि हे नाथ कृष्णचंद्र,भक्ति दीप ज्वलित करो।।28
गौलोक से ही निहारोगे,भू-धाम अवतार लो।28
मम हृदय प्रभु शीघ्र वास करो,प्रेम रुप विस्तार लो।28

मनमोहक छवि रति विनीत रवि,राधा संग मिलन हो।28
दोनो आओ म्हारे निवास,नर अनंत विलयन हो।।28
एकांत में समरन कांत हो,चरण में मन शांत हो।28
राधा मोहन का तुकांत हो,कविता धराकांत हो।२८

रचियता:- हेमंत।
हरिगितिका छंद।

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