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कवितानज़्म
*मुझमें मैं बचा ही नहीं* स्वांग मैने रचा ही नहीं मुझको मैं जंचा ही नहीं! खुदकोही ढूंढता हूँ बशर मुझ में 'मैं' बचा ही नहीं! ©️ डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" ०६/१२/२०२३