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कवितानज़्म
*ज़ार-ज़ार रोए* एक बार हंसे हज़ार बार रोए खुशी हो कि ग़म बार बार रोए तसव्वुरे-मसर्रते-हयात में बशर जिंदगी का रोना ज़ार-ज़ार रोए ©️डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"