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खुश नज़र आने लगे - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

खुश नज़र आने लगे

  • 97
  • 1 Min Read

खुश नज़र आने लगे
आसां न था मग़र दर्द -ए-दिल दबाने लगे
रंज-ओ-ग़म अपने छुपा के मुस्कुराने लगे
झूठी ही सही मसर्रतें हरसम्त दिखाने लगे
जमाने को बशर हम खुश नज़र आने लगे
©️डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"

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