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जिन्दगी की जुस्तजू ही जां ले गई - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

जिन्दगी की जुस्तजू ही जां ले गई

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दुनिया जहाँ में यहाँ - वहाँ ले गई
जिंन्दगी तू हमें कहाँ -कहाँ ले गई

मर्जी से हमारी तू कब किधर गई
इसनेकहा लेगई उसने कहा लेगई

हम मुहूर्ते-वक़्तके मुंतज़िर बैठेरहे
आंधियां वक़्तकी चलीं बहा लेगई

बे-सबब बे-दिली से होकर बे-बस
हमभी चलेगए तू जहां जहां लेगई

आलमे-हयात अपना ये रहा बशर
जिन्दगी की जुस्तजू ही जां ले गई

©️ "बशर"

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