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कवितानज़्म
*नज़रें उसने घुमालीं दिल हमारा बैठगया* हाथ हबीब से मिलाने मैं उठा दुबारा बैठ गया नज़रें उसने घुमालीं और दिल हमारा बैठ गया ©️ डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" ०५/१२/२०२३