Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
ग़मे-हिज्र न खुशी मिलन की हमको - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

ग़मे-हिज्र न खुशी मिलन की हमको

  • 59
  • 2 Min Read

ग़मे-हिज्र न खुशी मिलन की हमको
इक लत लग गई है लिखन की कोई अब हमको
चाह नहीं है दाद -ए-सुख़न की कोई अब हमको
फुर्क़त फ़िराक़ फासले दूरियां सब मिट गईं बशर
ग़म ए हिज्र न खुशी मिलन की कोई अब हमको
©️ डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" ०५/१२/२०२३

GridArt_20231122_130040585_1701876933.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg