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कवितानज़्म
मौसम-ए-बहार का नशा तरी है गुलिश्तां सूख गए मग़र बशर खुशबुओं का सफ़र जारी है खिजां का मौसम है मग़र मौसम-ए-बहार का नशा तरी है ©️ डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" ०४/१२/२०२३