लयबद्ध कविता
* दुर्दैवी इंसान *
सच्चा होकर भी अपमान मिले
पल पल लगे वो झूठा,
चेहरे पर उसके झूठी हसी
अंदर से है वो टूटा!
दुसरो की खुशी के लिए
हर पल करे प्रयास,
करता अपेक्षा प्रेम की वो
पर कभी बुझी ना उसकी प्यास!
सहकर सारे दुख और दर्द
हर पल वो मुस्कुराये,
करके भी परिश्रम बहुत
इच्छित फल ना वो पाये!
करलो उसकी कदर कोई
वो हर पल रोता रहता है,
मैं बिल्कुल ठीक हु यार
हर पल यही तो कहता है!
सब मिलकर खुशिया फैलाओ
बस इतना ही मै कहता हु,
अपनों की खुशियों के खातिर
हसकर दुख दर्द सहता हु!
- Samadhan Dhivar