Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
हालाते-हयात को बशर नसीब समझ बैठे - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हालाते-हयात को बशर नसीब समझ बैठे

  • 59
  • 2 Min Read

*हालाते-हयात को नसीब समझ बैठे*

अपने ही हबीब को हम रक़ीब समझ बैठे
रक़ीब को हम अक़्सर हबीब समझ बैठे

खोल बैठे जख़्म हरे नमक की दुकान पर
मक़्तल के जल्लाद को तबीब समझ बैठे

ना रहा कभी वास्ता जिसे हमारे हाल का
इक कातिल को दिल के क़रीब समझ बैठे

पछतानेसे होगाक्या चिड़िया चुग गई खेत
हालाते-हयात को बशर नसीब समझ बैठे


©️ डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" ०४/१२/२०२३

InCollage_20230921_221723484_1701738737.jpg
user-image
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg
ये ज़िन्दगी के रेले
1663935559293_1726912622.jpg
यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg